Sunday, 5 November 2017

इज्जत है वो.....

                  इज्जत है वो....
घर की इकलौती बेटी है न वो, जानता हूँ मैं
हा करती है मोहब्बत मुझसे, जानता हूँ मैं
राह ताकती है मेरी हरदम, जानता हूँ मैं
अक्सर रो देती थी वो ये कहते हुए
की कभी तुमसे दूर नही जाना मुझे
मगर चली गई एक दिन मुझे छोड़ कर
क्योंकि इकलौती बेटी हैं न वो, जानता हूँ मैं
घर की इज्जत की बात हैं न, जानता हूँ मैं
नमी देख नही सकती थी वो मेरी आँखों में
मेरे पास रहना उशे बेहद पसंद था
मुझमे  अपना रब देखती थी वो
मगर इकलौती बेटी है न वो
घर की इज्जत की बात है, जानता हूँ मैं
अब भी मोहब्बत करती मुझसे,जानता हूँ मैं
अक्सर मेरी बातों में खो जाया करती थी वो
कभी कभी हक़ जताते हुए खफा भी हो जाती थी वो
प्यार से समझाओ तो मुस्कुरा भी देती थी वो
गुरुर नही करती थी कभी की खूबसूरत है वो
मगर छोड़ गई मुझे अकेला वो
क्योंकि इकलौती बेटी हैं न वो
घर की इज्जत की बात हैं, जानता हूँ मैं
ऐसा नही है कि मैं इश्क़ नहीं करता उससे
मोहब्बत के नजमे क्या मैं नहीं पढ़ता
मगर इकलौती बेटी हैं न वो
घर की इज्जत की बात हैं, जानता हूँ मैं

           ~दीपक कु0 तिवारी दीपांजल

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