Saturday, 21 October 2017

deepaklove

ज़मीन जल रही है फिर भी चल रहा हूँ मैं
फ़िज़ा का वक़्त हैं और फूल फल रहा हूँ मैं
हर तरफ आंधिया हैं नफरतो की मैं फिर भी
दीपक हूँ प्यार का हिम्मत से जल रहा हूँ मैं

    dr. bs

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